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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 33)




विस्तार सभी ओर से घिरा हुआ था, उसके चारों तरफ असंख्य डार्क गार्ड्स फैले हुए थे। विस्तार की मुट्ठियाँ भींच गयी, वह जानता था यह लड़ाई सरल नही है और वह डार्क गार्ड्स की शक्तियों से भी अनभिज्ञ था परन्तु अब लड़ने के अतिरिक्त कोई अन्य मार्ग शेष न था। डार्क गार्ड्स पूरी तैयारी के साथ आये थे, अत्यधिक क्रोध से भभकते हुए उनके सिर की लपटें स्याह गगन को छुए जा रही थीं। विस्तार लड़ने की मुद्रा में तैयार खड़ा था परन्तु अंदर ही अंदर उसे कुछ खाये जा रहा था, उसे सबकुछ जानने की तीव्र जिज्ञासा हो रही थी, उसे विश्वास नही हो रहा था कि आचार्य ने उससे झूठ बोला परन्तु वे न जाने कहाँ से प्रकट हुए उसी प्रकार न जाने कहाँ गायब हो गए अगर वे उसके समक्ष होते तो उनसे अवश्य ही पूछ लेता।

"किस बात से परेशान हो पुत्र!" विस्तार के मस्तिष्क में एक स्वर उभरा, विस्तार ने जानने के लिए थोड़ा ध्यान लगाया वह समझ गया कि यह स्वर आचार्य का था।

"यदि आप मेरे मस्तिष्क में उत्पन्न भावो को पढ़ पा रहे हैं तो फिर आपको पता होगा कि मैं किस बात से परेशान हूँ आचार्य!" विस्तार अपने मन में ही आचार्य से प्रश्न पूछा।

"तुम किसी बात पर ध्यान न दो ब्रह्मेश! तुम्हारी बहने अभी इस बात से अनभिज्ञ हो सकती हैं, फिलहाल तुम्हारा इनसे निपटना आवश्यक है।" आचार्य की झलक विस्तार के मस्तिष्क में उभरी और फिर वे चले गए। विस्तार डार्क गार्ड्स से घिरा हुआ था, अब उसे पता था कि उसे क्या करना चाहिए परन्तु वह अब भी आचार्य या डार्क फेयरीज़ की बातों पर पूर्णतः विश्वास नही कर पा रहा था। फिलहाल उसे डार्क गार्ड्स के इस घेराव को तोड़कर बाहर निकलना था, परन्तु पहले मैत्रा और अभी डार्क फेयरीज़ से लड़कर वह अत्यधिक कमज़ोर हो चुका था जबकि सामने डार्क गार्ड्स चींटियों से भी अधिक और सघनता से फैलकर उसे घेरे हुए थे।

विस्तार अभी अपने आप मे उलझा हुआ था। डार्क गार्ड्स ने बिना किसी चेतवानी के विस्तार पर हमला कर दिया। हल्की सी पतली ऊर्जा की धार विस्तार के कंधे को छूते हुए निकल गयी। विस्तार की जैसे तंद्रा भंग हुई वह पुनः लड़ने की मुद्रा में तैयार हो गया।

लड़ाई के दौरान भी वह असंख्य विचारों के जाल में उलझा हुआ था, उसे अपने मन पर नियंत्रण पाने में बहुत अधिक कठिनाई हो रही थी। बाहर इस विशाल सेना से घिरे होने के बावजूद अपने मन में चल रहे अंतर्द्वंद्व से बाहर नही निकल पा रहा था। उसका स्याह चेहरा सुर्ख तमतमा गया, जबड़े भींच गए, ओमेगा चिन्ह जल-बुझ करने लगा, उसके हाथों से एक दो बार स्याहियां भड़कने के बाद बिल्कुल गायब ही हो गई, उसकी शक्तियां काफी हद तक क्षीण हो गईं थी। विस्तार के प्रत्युत्तर में वार न कर पाने का फायदा डार्क गार्ड्स ने उठाया, वहां उत्पन्न शोर विस्तार के मन को और अधिक विचलित कर रहा था। डार्क लीडर ने अनजाने में ही सही बहुत सही समय चुन लिया था, आज उसके सबसे बड़े दुश्मन का अंतिम क्षण आ चुका था।

उस  विशाल पर्वत पर जलता हुआ एक और पहाड़ बनने लगा। जलती हुई खोपड़ियों के इस पहाड़ के नीचे विस्तार दफन हो चुका था। उसने कभी सोचा नही था कि वह बिना लड़े ही मारा जाएगा, परन्तु  उजाले की दुनिया में जाकर त्रयी महाशक्तियों से लड़ने से उसकी शक्तियां अत्यधिक क्षीण हो चुकी थी, ऊपर से यह स्थान भी उसे मानसिक आ उर शारीरिक तौर पर बेहद कमजोर बना रहा था। वह किसी तरह वहां से निकलने की कोशिश कर रहा था, डार्क गार्ड्स को उम्मीद नही थी कि उनका एक शक्तिशाली दुश्मन बिना अधिक मेहनत के भी मारा गया।

वातावरण में मनहूसियत क्षण प्रतिक्षण बढ़ती ही जा रही थी, डार्क गार्ड्स के उस पहाड़ के नीचे विस्तार का कोई पता न था, ऐसा लग रहा था मानो को बीज चींटियों के झुंड के नीच इस तरह दब गया हो कि उसके होने की कोई अनुभूति तक न मिले। ऊंचे स्याह आकाश को छूती हुई डार्क गार्ड्स के खोपड़ियों की लपटें, मिलकर एक होने लगीं। वातावरण में गर्मी बढ़ रही, इतना अधिक तापमान और जलती खोपड़ियों के ऊष्मा के बाद भी यह स्थान घुप्प अंधेरे से भरा हुआ था। काफी देर बीत गया, डार्क गार्ड्स को विस्तार को अचेत रखने का कोई अन्य उपाय नही ज्ञात नही था, ये बात वे भी जानते थे कि विस्तार इतनी सरलता से मर नही सकता, उन्होंने यह संदेश डार्क लीडर को भेज दिया।

विस्तार को अब तक कोई हलचल न करते देख सबने उसे जितना बताया गया था उससे कमज़ोर मान लिया। डार्क गार्ड्स के पास आदेश पालन के अतिरिक्त कोई अन्य कार्य नही होता इसलिए वे सभी एक ज्वाला बनाकर विशाल पर्वत की भांति विस्तार के बदन को दबाकर चारों तरफ से ढके हुए थे।

अचानक अंधेरा और गहराने लगा, आसपास विशुध्द ऊर्जा की बू आने लगी, विस्तार के हाथों में स्याहियां बिजली तरंगों की भांति चमकने लगी, आँखों में ज्वार भरा हुआ था, सीने पर बना ओमेगा चिन्ह सूर्य की भांति चमकने लगा, अंतर्मन में चल रहे द्वंद का गुबार फटकर बाहर आ गया। तेज हुंकार के साथ विस्तार उठा, डार्क गार्ड्स को लेकर ऊपर की ओर उड़ता हुआ घूम गया। डार्क गार्ड्स बुरी तरह छितराकर गिरे, कुछ तो उस पर्वत के तल में नीचे जा गिरे अत्यधिक ऊँचाई से गिरने के कारण उनके खोपड़ी की बत्तियां बुझ चुकी थी।

विस्तार की शक्ल पर हैवानियत नाच रही थी, उस्की नसे सभी को चीर फाड़ डालने के लिए खौल रही थीं। कोई भी जब अंदर से मजबूर ही न तो उसे छेड़ने की गलती नही करनी चाहिए, क्योंकि जब अंदर का ज्वालामुखी फटता है तो बहुतों को खौलते लावे में तड़प तड़पकर दम तोड़ना पड़ता है।

"तुम्हारा लीडर दिखाई नही दे रहा है?" विस्तार को अपनी तरफ बढ़ते देख दो-तीन गार्ड्स ने उसपर उर्जावार किया जिसे रोकते हुए विस्तार मुस्कुराया और फिर अपने पंजो से सभी को बारी-बारी चीरकर टुकड़ो में बांट दिया।

"ये तो पहले से अधिक शक्तिशाली हो चुका है, तन्त्रजाल टूट चुका है, डार्क लीडर पता नही कब तक आएंगे...।"  एक गॉर्ड बोला, तभी उसकी सांसे अटकने लगी। विस्तार ने अपने मजबूत हाथों से उसके गले को जकड़ लिया था। उस गार्ड की लपटें  बुझने लगी, सांस लेकर न जीते होने के बावजूद भी उसका शरीर कमजोर पड़ गया तभी किसी ने पीछे से विस्तार पर वार किया। विस्तार की हथेली क्रोध से कसती चली, उस गॉर्ड के गले की हड्डियां चरमराकर टूट गईं।

विस्तार पीछे मुड़ा, उसके डर से सभी गार्ड्स की लपटें धीरे धीरे कम होने लगी थीं। डार्क गार्ड्स बिना रुके, विस्तार पर लगाकर हमला करने लगे, विस्तार बिना किसी प्रतिरोध के उनकी ओर बढ़ता चला गया, उसके सीने पर बना ओमेगा चिन्ह और तेजी से चमकने लगा था जिस कारण डार्क गार्ड्स को देखने मे भी कठिनाई होने लगी।

"सिंह का शिकार करने गीदड़ों को नही भेजा जाता डार्क लीडर! ये बात तुम्हें कब समझ में आएगी।" फुंफकारता हुआ विस्तार डार्क गार्ड्स की ओर बढ़ा। डार्क गार्ड्स जो कि मृत शरीर से बने हुए जीव थे, जिन्हें डार्क लीडर के आदेश पालन के अतिरिक्त अन्य कुछ भी नही आता था आज मृत्यु के भय से उनका बदन कांप रहा था, सिर पर जल रही लपटें जो ग्रेमन और उनकी वीरता का प्रतीक बनी हुईं थी वे बुझने लगी।

डार्क गार्ड्स अगर कोई सामान्य जीव होते तो विस्तार को इस अवस्था में देखकर कांपते हुए अपनी पतलून गीली अवश्य कर चुके होते परन्तु डार्क गार्ड्स न ही कोई सामान्य जीव थे न ही उन्हें पतलून की आवश्यकता थी। फिर भी उनकी हालत उस मृग के समान हो गयी थी जो भूखे सिंह के सामने हो और पैरों में कांटा चुभ गया हो।

डार्क गार्ड्स ने अत्यधिक प्रतिरोध किया परन्तु विस्तार एक एक को अत्यधिक दर्दनाक तरीके से तोड़ते मरोड़ते, काटते, छीलते कई टुकड़ो में बिखेर चुका था। थोड़ी देर बाद जब विस्तार रुका तो चारों ओर डार्क गार्ड्स के शरीरों के अवशेष बिखरे हुए पड़े थे। विस्तार की आँखों में ज्वाला भड़क रही थी, कुछ ही पलों बाद उसे सम्पूर्ण पर्वत पर आग की लपटें नृत्य कर रही थीं, दूर जाते हुए हवा में उठकर विस्तार इस दृश्य को देखने लगा, एक क्षण को उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी अगले ही क्षण वह चिंतामग्न नजर आने लगा। उड़ता हुआ वह पुनः स्याहियों में कही खो सा गया अब उसे आने वाले भयंकर तूफान का सामना करना था क्योंकि उसे पता था इस दुनिया में होने वाली घटना भी उजाले की दुनिया में बड़ी तबाही का कारण बनेगा।

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"आगे बढ़ो मेरे सुपीरियर्स! अब समय आ चुका है अंधेरे के इस संसार को भगवान नराक्ष के चरणों में अर्पित करने का, इस मार्ग में जो भी अड़चन आये उसका नामोनिशान मिटा दिया जाएगा।" सुपीरियर लीडर जोशीले स्वर में भाषण देते हुए सेना का नेतृत्व करने सबसे आगे पहुंच गया।  उसके पीछे सम्पूर्ण गर्जन करते हुए आगे बढ़ी, अंधेरे का यह केंद्र सुपीरियर्स के हुंकार से दहल उठा था।

ओमेगा स्तम्भ हल्का सा टूटकर झुका हुआ था, जिसपर बना ओमेगा चिन्ह अब भी सही सलामत अवस्था में था। स्तम्भ की दीवार पर कुछ लिखा हुआ था परन्तु वहां से हल्का सा टूट चुका था जिस कारण वह स्पष्ट दिखाई नही पड़ रहा था। यह स्तम्भ अंधेरे के इस दुनिया की केंद्र बिंदु था। सदियों पूर्व जब अंधेरे द्वारा अपने सभी अनुयायियों को काली शक्तियो के अंश प्रदान किये गए तभी नराक्ष एवं उसकी सेना के पास अदृश्यात्मक पापशक्ति एवं प्राकृतिक शक्तियों की जलीय शक्ति दी गयी थी और वीर को जल के साथ वृक्ष एवं लताओं तक को नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान की गई और ग्रेमन को दृश्यात्मक पापशक्ति एवं प्राकृतिक शक्तियो में अग्निय शक्तियों का नियंत्रण नियंत्रण सौंपा गया। डार्क लीडर के पास चट्टानों को नियंत्रित करने की क्षमता भी प्रदान की गई। अन्य को भी वायु, आकाश की शक्तियां दी गयी थी परन्तु अब केवल ग्रेमन और नराक्ष ही जागृत अवस्था में थे। इसी कारण यह मार्ग इस प्रकार बना हुआ था कि कोई भी इस केंद्र तक न पहुँच पाए, जब तक उसके पास विशुद्ध शक्ति न हो, क्योंकि विशुद्ध स्याह शक्ति, ओमेगा स्तम्भ का कोई अनुचित लाभ उठाने की कोशिश नही करेगी।

ओमेगा स्तम्भ केवल उजाले और अंधेरे के द्वार खुले होने पर ही केंद्र तक आने के लिए सभी दिशाओं में एक पतला सा मार्ग बनाता है परन्तु जैसे ही उजाले-अंधेरे का द्वारा बंद होगा यह मार्ग भी अदृश्य हो जाएगा। कोई भी अशुद्ध स्याह ऊर्जा द्वार बंद होने के पश्चात केंद्र पर नही टिक सकता, यह केंद्र उसे कहीं और भेज देगा और साथ ही वहां किसी के दृष्टि से बचने की क्षमता भी दे देगा। इसी कारण वीर, सुपीरियर लीडर और डार्क लीडर सदियों तक उजाले की दुनिया में खुद को छिपाते हुए बच पाए। ओमेगा स्तम्भ और केंद्र की इस शक्ति से अंधेरे के लगभग सभी जीव अनजान थे, इसी कारण ओमेगा का रहस्य छिपा हुआ था।

सुपीरियर लीडर बढ़ता चला जा रहा था, सभी ग्रेमन के साम्राज्य में प्रवेश करने ही वाले थे कि तभी उन्हें सामने की ओर स्याह धूल उड़ाते हुए विशाल दैत्यों की सेना आती हुई दिखाई दी। सुपीरियर लीडर जानता था कि ये डार्क गार्ड्स नही बल्कि खूंखार दैत्य जीव डेथ डीमन हैं। हाथों में सड़ी हुई हड्डियों के विशाल एवं बदबूदार हथियार थे, डेथ डीमन्स के विकृत चेहरे पर क्रूरता नाच रही थी, बड़े-बड़े दांत बाहर निकले हुए थे, आंखे विचित्र प्रकार से लटकी हुईं, किसी के तीन तो किसी के चार हाथ से
थे, डीमन्स की अगुवाई करते हुए डार्क लीडर उसके सामने कुछ ही दूरी पर आकर रुक गया। उसके चेहरे पर विजयी मुस्कान थी, लपटें काफी ऊपर तक उठी हुई थी, उसे देखकर लग रहा था मानो वह सुपीरियर लीडर का यही पर इंतजार कर रहा था। सुपीरियर लीडर भी उसके चेहरे के भाव देखकर जमाने भर की कुटिलता लिए मुस्कुरा रहा था। अंधेरे के दो विशाल सेनाओ में टकराव होने जा रहा था, अंधेरे से ज्यादा इसका प्रभाव उजाले की दुनिया पर पड़ने वाला था।


क्रमशः…..


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3 Comments

Niraj Pandey

09-Oct-2021 12:34 AM

बहुत ही शानदार👌

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Seema Priyadarshini sahay

05-Aug-2021 07:31 AM

खूबसूरत भाग

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